में और मेरे अहसास - 103

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दुनिया कठपुतली का मेला हैं l जिन्दा रहने के लिए झमेला हैं ll   करोड़ों इंसानों की भीड़ में l यहां हर आदमी अकेला हैं ll   सब ने लुका छुपी का खेल l एकदूसरे के साथ खेला हैं ll   हसी खुशी से जिये जाओ l जीवन ईश्वर का डेला हैं ll   ना जाने कब खत्म हो जाए l तन साँस लेने का थेला हैं ll   मन की डोर खींचकर रखो l नसनस में प्यार का रेला हैं ll   नचाने वाला ऊपर बैठा है l जीभर के जीने की बेला हैं ll १६-५-२०२४    शांत मन