दुनिया कठपुतली का मेला हैं l जिन्दा रहने के लिए झमेला हैं ll करोड़ों इंसानों की भीड़ में l यहां हर आदमी अकेला हैं ll सब ने लुका छुपी का खेल l एकदूसरे के साथ खेला हैं ll हसी खुशी से जिये जाओ l जीवन ईश्वर का डेला हैं ll ना जाने कब खत्म हो जाए l तन साँस लेने का थेला हैं ll मन की डोर खींचकर रखो l नसनस में प्यार का रेला हैं ll नचाने वाला ऊपर बैठा है l जीभर के जीने की बेला हैं ll १६-५-२०२४ शांत मन