हिमानी हाथ में चाय की ट्रे पकडे भव्या के साथ बाहर आयी और नमस्ते करा सब को"लो आ गयी मेरी बहु अपने हाथो की बनी चाय लेकर" वहा बैठी सुरेन्द्र की माँ कविता ने कहा"खुश देखो कितना हो रही है जैसे खुद का बेटा कोई शहजादा हो" भव्या ने मुँह बिसकाते हुए कहाहिमानी ने उसकी तरफ गुस्से से देखा और मुँह पर ऊँगली रखने को कहा।भव्या ने भी उसकी तरफ देखा और गर्दन मोड़ ली गुस्से से।हिमानी सब को चाय देती है और अपनी होने वाली सास के पास आकर बैठ जाती है।बहुत ही संस्कारी बच्ची है आपकी मेरा घर