द्वारावती - 17

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17 किसी ने एकांत में बैठे, समुद्र के ऊपर किसी बिंदु को स्थिर दृष्टि से निहारते उत्सव को कहा।“उत्सव, तुम जिस शिला पर बैठे हो उसी शिला पर ही वह बैठा था। गुल को उसका नाम तब ज्ञात नहीं था। तब वह एक अबोध कन्या थी। आयु होगी आठ नौ वर्ष की। वह और उसके पिता इस कन्दरा के मार्ग से समुद्र के भीतर थे। उसके पिता मछलियाँ पकड़ रहे थे। गुल समुद्र को देख रही थी। समुद्र की ध्वनि के साथ साथ उसके कानों पर एक और ध्वनि भी पड रहा था। एक नाद था वह। उत्सव, तुम्हें इन