poems by Urvi Vaghela. All poems are written by poetess herself. It's not copy from any sources. These poems are beginning of her journey. 1.भोलापन उस दिन धूप मेंस्कूल मेंनए स्टूडेंट के रूप मेंआया कोई मित्र नहीं जाना वहकिसका है सुपुत्रनहीं पूछी उनकी जातिमुझे कहा काम आतीसिर्फ मेरे पास दो चीज थीमेरे भूखे पेट की रोटी और सामने मेरा भूखा मित्रऔर क्या कर लिया बटवाराखा लिया आधा आधाक्योंकि नही थे फसे हम लोभ, भेदभाव और अहमके जाल में क्योंकि हमभोले थे बच्चे थे । - उर्वी वाघेलाफुटबॉल का गम एक कोने में पड़ा है फुटबॉलनहीं खेलता उसे कोई खेलबेजान सा