मृगमरीचिका

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“मृगमरीचिका”‘वह‘ रवीना को रोज मॉर्निंग वॉक के समय दिखती। दिखती क्या...उसे देखने की आदत ही पड़ गई थी। उसका दिखना, रवीना की मॉर्निंग वॉक का एक हिस्सा बन गया था। वह जैसे ही मुख्य सड़क से दाईं तरफ छोटी सड़क पर मुड़ती, उसकी आंखें उसके मस्तिष्क को संदेश भेजने लगतीं। मस्तिष्क पटल पर उसकी तस्वीर बनती और आंखें उसे दूर तक तलाश करने लगतीं। रवीना को अधिक इंतजार नहीं करना पड़ता। हैरत की बात तो यह थी कि उससे आमना सामना हमेशा उसी छोटी सड़क पर ही होता। छोटी सड़क वास्तव में छोटी ही थी और आगे जाकर उसका विलय