आखिरी प्रेमी की घोषणा-प्रिन्शु लोकेश थाने के ठीक सामने महुआ का एक वयोवृद्ध वृक्ष था जिसकी तमाम पत्तियां झड़ चुकी थी और वह उजड्ड सा खड़ा पथराई आंखों से थाने की ओर ऐसे देख रहा था मानो उसकी कोई नयी पौध थाने में कैद हो। उसी महुए के वृक्ष के नीचे ठीक उसी वृक्ष की तरह एक उजड्ड स्त्री बैठी रो रही है उसके दोनों कन्धे किसी पुरानी मशीन के पिस्टन की तरह ऊपर नीचे हो रहे थे। वही पास पूर्व की ओर कोई बीस मीटर की दूरी पर अण्डे की एक दुकान थी जहां पर एक दस वर्षीय लड़का