लागा चुनरी में दाग़-भाग(२०)

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प्रत्यन्चा जब भागकर अपने कमरे में चली गई तो वो नवयुवक गुस्से में बुदबुदाते हुए बोला... "दादा जी ने नौकरों को बहुत सिर पर चढ़ा रखा है,इज्ज़त ही नहीं करते किसी की,मुझे थप्पड़ मारती है,अब तो मैं हर रोज यहीं खाना खाने आया करूँगा,देखता हूँ कब तक भाव खाती है,इसकी सारी अकड़ तो मैं निकालूँगा,मुझे अकड़ दिखाती है", तभी भागीरथ जी घर लौट आएँ और उन्होंने उस नवयुवक को बुदबुदाते हुए सुन लिया तो वे उससे बोले... "बर्खुरदार! किस की अकड़ निकालना चाहते हो,", "किसी की नहीं दादाजी! मैं तो बस ऐसे ही बड़बड़ा रहा था",वो नवयुवक बोला.... "भई! आज