लागा चुनरी में दाग़--भाग(१७)

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फिर विलसिया प्रत्यन्चा को उसके कमरे में ले गई,जो कि ऊपर था और उससे बोली... "बिटिया! इ है तुम्हार कमरा,कैसन लगा" "अच्छा है काकी!",प्रत्यन्चा बोली.... "तो अब तुम आराम करो,हम तब तक तुम्हरे खीतिर दूध लावत हैं", और ऐसा कहकर विलसिया दूध लाने चली गई,इसके बाद भागीरथ जी प्रत्यन्चा के पास आएँ और उससे बोले.... "बिटिया! कमरा ठीक ना लगे तो बता देना,हम दूसरे कमरे में तुम्हारे रहने का इन्तजाम करवा देगें", "जी! मुझे घर मिल गया,सिर ढ़कने को छत मिल गई और भला इससे ज्यादा मुझ अभागन को क्या चाहिए", प्रत्यन्चा बोली... "अब इसे अपना ही घर समझो और