“बेटा जरा पता तो करो की रेल यमुना के पुल के बीचो-बीच क्यों रुक गई है।” यह बात बुजुर्ग राम सेवक शायद अपने पोते आदित्य से कई बार पूछ चुका था, लेकिन उसकी इस बात को ही नहीं आदित्य उनकी हर एक बात को अनसुना कर रहा था।जब उसकी इस हरकत पर अपनी विधवा मां के साथ आगरा जाने का सफर कर रही प्रगति से बर्दाश्त नहीं होता है तो वह गुस्से में आदित्य को डांटते हुए कहती है “वह बुजुर्ग शायद आपके दादा जी या नाना जी या कोई और संबंधी आपसे बार-बार कुछ पूछ रहे हैं और आप