श्री सोझाजी

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श्री सोझाजी दम्पती भगवद्भक्त गृहस्थ थे। धीरे-धीरे जगत्की असारता, सांसारिक सुखों की असत्यता और श्रीहरिभजन की सत्यता का सम्यक् बोध हो जाने पर आपके मन में तीव्र वैराग्य उत्पन्न हो गया। आपने अपनी धर्मपत्नी के समक्ष अपने गृहत्याग का प्रस्ताव रखा तो उस साध्वी ने न केवल सहर्ष प्रस्ताव का समर्थन किया, बल्कि स्वयं भी साथ चलने को तैयार हो गयीं। इस पर आपने कहा कि यदि तुम्हारे हृदय से समस्त सांसारिक आसक्तियाँ समाप्त हो गयी हों तो तुम भी अवश्य चल सकती हो। अन्ततोगत्वा अर्धरात्रि के समय आप दोनों ने घर-द्वार, बन्धु-बान्धव, कुटुम्ब-परिवार-सबकी ममता का त्याग कर दिया और