भाग–३३ आज राजीव मुझे लेने के लिए आने वाला था। मैं उसका बेसब्री से इंतजार करने लगी कुछ देर में राजीव मुझे लेने के लिए आ गया। उसे देख कर दिल को सुकून मिल रहा था इतनी खुशी हो रही थी मैं दौड़ कर उसके गले लग जाना चाहती थी लेकिन मैंने अपनी भावनाओं को काबू में किया और राजीव के सामने जाकर बैठ गई। मम्मी राजीव के लिए नाश्ता और चाय लेकर आए, इतनी देर मैं राजीव के सामने बैठी रही, उसने मुझसे कोई बात नहीं कि वह अपने फोन में उलझा हुआ था और मैं उसे देख रही