दहशत में सिसकती जिन्दगी ‘वनिता’ ने श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से ‘वहाबपोरा’ के लिये सीधी टैक्सी ली थी। ‘वहाबपोरा’ ‘अहैजी’ नदी के तट पर बसा जम्मू कश्मीर राज्य के बड़गांव जनपद का एक छोटा शहर था । यह शहर क्या वनिता के बचपन का गांव ही था जहां पर उसने चार वर्ष बड़ी बहन ‘नलिनी’ तथा माता-पिता के साथ अल्हड़ बचपन के ग्यारह वर्ष व्यतीत किये थे। पहले से ही बुक किये होटल ‘ग्रीन डायमण्ड’ के अपने कमरे में पंहुचकर वह एक कुर्सी पर सिर टिका कर बैठी ही थी कि उसके पर्स में रखे मोबाइल की घंटी बजने