सन्यासी का सत्य तप -- गोकुल खानाबदोश परिवार में जन्मा था जिसके समाज के लोग मन मर्जी के अनुसार जहां अच्छा लगा वहीं डेरा जमा लिया कुछ दिन रहे मन उबा तो दूसरी जगह चल दिए यही जिंदगी थी पेट भरने के लिए भीख मांगना कबूल नही हाथ कि छोटी मोटी कारीगरी से लोहे के घरेलू उपयोग के समान जैसे कुदाल ,खुरपी, आदि बनाना या जंगली जड़ी बूटियां बेचना आदि रोजगार सम्पत्ति के नाम पर शिकारी कुत्ते मुर्गियां बैल गाय तिरपाल आदि ही होते थे साथ कुछ भी नही पास कुछ भी नही फिर भी मेहनत कर स्वाभिमान से जो