प्यार हुआ चुपके से - भाग 14

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रति ज़मीन पर पड़ी अपनी बुक्स उठा रही थी और शिव वहीं खड़ा एकटक उसे निहार रहा था। गौरी ने भी सारे नोट्स उठाए और रति के पास आकर बोली- अच्छा हुआ तू खुद ही आ गई, मैं तेरे ही घर आ रही थी। रति हल्के से मुस्कुरा दी पर फिर उसकी नज़र शिव की नज़रों से टकराई और उसने अपनी नज़रे झुका ली। तभी गौरी उसकी बांह छूकर बोली- रति, ये शिव है। मेरे बचपन का दोस्त, "जानती हूं। इनकी तस्वीर देखी है मैंने तेरे रूम में,"- रति, शिव की ओर देखकर बोली। गौरी के चेहरे पर बड़ी सी