शिष्य: गुरुजी, चेतना क्या है? गुरु: चेतना अस्तित्व का मूलभूत पहलू है जो हमें अपने आस-पास की दुनिया का अनुभव करने और अनुभव करने की अनुमति देती है। यह जागरूकता है जो सभी विचारों, भावनाओं, संवेदनाओं और धारणाओं को रेखांकित करती है, और हमारे आत्म और वास्तविकता की भावना को जन्म देती है। शिष्य: गुरुजी, क्या चेतना केवल मनुष्य तक ही सीमित है? गुरु: चेतना केवल मनुष्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एक सार्वभौमिक घटना है जो संपूर्ण अस्तित्व में व्याप्त है। जबकि मनुष्य में उच्च स्तर की आत्म-जागरूकता और संज्ञानात्मक जटिलता हो सकती है, चेतना सबसे सरल