1.ऐसा ना हो कि,तुम्हें जब मेरी आदत होने लगे,अपने आस पास,मुझे ढूंढने की,कवायद होने लगे...2.इन सुलगते रास्तों पर मैं अब्र बिखरा रही हूं,अपने हिस्से का सारा सब्र बिखरा रही हूं,बिखरा रही हूं, अपने विचारों के टुकड़े,जो तुम्हारी यादों से टकराते रहते हैं,इस सुलगते रास्ते पर मैं तुम्हारा ज़िक्र बिखरा रही हूं...3.वास्ता ज़रूर है मुझे तुमसे वाबस्ता ज़रूर है,तो, मेरे शब्द रख लो तुम,और तस्वीरें रख लेती हूं मैं,दिखाई दूं या ना दूं,सुनाई तुम दो या ना दो,कभी!किस्सा फिर भी ये है कि,मुझे तुमसे वास्ता ज़रूर है...4.आंखों को ऐसा ना होने दो,जो तुम्हें अपने आगे कुछ,दिखने नहीं देती,किसी के हक़ का,रखना