पच्चीसवीं रात

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                                                               पच्चीसवीं रात वह एक टैक्सी ड्राइवर था वह टैक्सी उसके मरहूम (मृतक) पिता की थी और उसकी मालिक उसकी विधवा माँ थी। वह इस लायक़ तो नहीं था कि गाड़ी उसके हवाले की जाती लेकिन भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। अगर उस पर भरोसा ना किया जाता जिम्मेदारियों का बोझ उनके कन्धों पर ना डाला जाता तो उसका बिगड़ जाना निश्चित था। लेकिन पहले महीने में उसने खुद को