फागुन के मौसम - भाग 3

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राघव की ट्रेन जब बैंगलोर पहुँची तब शाम के साढ़े छः बज रहे थे। उसकी परीक्षा अगले दिन सुबह दस बजे थी। रेलवे स्टेशन पर पूछताछ करके उसने वहीं पास ही स्थित एक छोटे से बजट होटल में रात गुज़ारने का निर्णय लिया। होटल के छोटे से कमरे में आने के बाद राघव ने हाथ जोड़कर ईश्वर को धन्यवाद देते हुए कहा कि अगर इस महानगर में उसे ऐसी सस्ती जगह न मिली होती तो पता नहीं अभी वो अकेला यहाँ क्या कर रहा होता। अगली सुबह परीक्षा हॉल में किसी तरह का व्यवधान न आये इस विचार से राघव