वाजिद हुसैन सिद्दीक़ी की कहानी कश्मीर के आउटस्कर्ट में एक आलीशान हवेली थी, जिसे लोग कश्मीरी पंडित भट्ट का रईस ख़ाना कहते थे। इसमें एक विशालकाय लकड़ी का फाटक लगा था जिसमें एक खिड़की थी जो भट्ट जी के ज़माने में आगंतुकों के लिए खुली रहती थी। फाटक तो भट्ट जी की हाथी पर सवारी के आते-जाते समय खुलता था। 1990 के दश्क में कश्मीरी पंडितो के पलायन के बाद से फाटक बंद था। एक दिन एक लंबा छरछरा नौजवान आया। उसने गेट में लगी खिड़की के तालेे को खोला, सफाई- कराई और उसमें रहने लगा। पड़ोसियों के पूछने-गछने पर