दीनानाथजी मंदिर में आरती कर रहे थे और रति भी उनके पास हाथ जोड़े खड़ी थी। उसे बस गौरी के आने का इंतज़ार था। वो बार-बार पलटकर, मन्दिर से बाहर देख रही थी पर तभी उसे अजय मन्दिर में आता हुआ नज़र आया। उसके चेहरे पर एक बार फिर उदासी छा गई। उसने फिर से भोलेनाथ की पिंडी की ओर देखा और अपनी आँखें बंद करके आरती गाने लगी। अजय भी बिना उसे देखे उसकी बगल में आकर खड़ा हो गया। आरती खत्म होते ही पंडितजी सबको आरती देते हुऐ रति से बोले- काजल,बिटिया सबको प्रसाद दो।"जी बाबा"- रति ने