कर्म से तपोवन तक - भाग 11

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अध्याय 11 वनस्थली में निर्मित स्वयंवर के लिए तैयार किया मंडप ऐसा लग रहा था मानो स्वयं विश्वकर्मा ने अपने हाथों से निर्मित किया हो । मंडप में सभी निमंत्रित महानुभावों के लिए अनुकूल आसन थे । किंतु वानप्रस्थ ग्रहण किये राजा ययाति और शर्मिष्ठा कुशासन पर विराजमान थे । धूप दीप से मंडप सुगंधित हो जगमगा रहा था।  माधवी को सखियों ने सोलह श्रंगार से सजाया था । गौर वर्ण पर चंपई सुनहरी रंग का रेशमी परिधान मानो सूर्य रश्मियों को बिखरते सरोवर पर उगता हुआ श्वेत कमल पुष्प। उसके कक्ष में माता शर्मिष्ठा ने आभूषणों से भरा थाल