श्री परशुरामावतार की कथा—(वाल्मीकि रामायण के अनुसार) साक्षात् ब्रह्माजी के पुत्र राजा कुश के चार पुत्रोंमें से कुशनाभ दूसरे पुत्र थे। राजा कुशनाभ ने पुत्र प्राप्ति के लिये पुत्रेष्टि यज्ञ किया, जिसके फलस्वरूप गाधि नामक परम धर्मात्मा पुत्र हुआ। राजा गाधि के एक सत्यवती नाम की कन्या थी, जो महर्षि ऋचीक को ब्याही गयी थी। एकबार सत्यवती और सत्यवती की माता ने ऋचीकजी के पास पुत्र-कामना से जाकर उसके लिये प्रार्थना की। ऋचीक ने दो चरु सत्यवती को दिये और बता दिया कि यह तुम्हारे लिये है और यह तुम्हारी माँ के लिये है, इनका तुम यथोचित उपयोग करना। यह