1.तुमने पूछा था ना मेरे लिए कौन हो तुम... तो सुनो इस स्वार्थी जीवन में निःस्वार्थ प्रेम हो तुम... 2.सौ तरह के रोग ले लूँ इश्क़ का मर्ज़ क्या है... तू कहे तो जान दे दूँ कहने में हर्ज़ क्या है... 3.मरता नहीं कोई किसी के इश्क़ में... बस यादें कत्ल करती हैं किश्त - किश्त में... 4.काश मुझे लिखना आ जाए गुलज़ार की तरह... मैं उसके हर सितम छाप दूँ अख़बार की तरह... 5.हजारों चाहनें वाले होंगे तेरे ज़माने में... कोई मुझसे बेहतर मिले तो खबर करना... और अगर मिल भी जाए कोई मुझसे भी बेहतर...तो ज़ालिम कम से