"रुपाली बेटा जा जाकर देख हंक्षित को कही कुछ कर न बैठे। मैं तो सीड़िया नही चढ़ सकती जल्दी जल्दी, जा उसे समझा कही वो हंसु की बातों को दिल पर लेकर ये घर छोड़ कर ही न चला जाए " हेमलता जी ने कहा पास ख़डी अपनी बहु से घबराते हुए।"नही माँ, आप घबराओं नही मैं जाकर देखती हूँ, इन दोनों बाप बेटे का झगड़ा आज से थोड़ी है, न जाने क्यू इन बाप बेटे की कुण्डली नही मिलती है एक दुसरे से "रुपाली जी ने कहा भावुक होते हुए।"माँ तुम ही भैया को समझा सकती हो, उनसे कहो