Ep ३१प्रेम की शक्ति ४"तुम्हारे हाथों से मुझे दफना दोगे !” यह वाक्य सुनकर अभि के मन में ख्याल आया कि हम पहले क्यों नहीं मर गए! अगर नियति के मन में ऐसा हो तो क्या होगा? उसने दोनों हाथों से दायमा का हाथ अपने गालों पर पकड़ लिया, उसकी आँखों से आँसू और मुँह से एक बच्चे की तरह आँसू निकल रहे थे। कौन क्या कहेगा? पागल? यह सभी विचारों का सुझाव देने की स्थिति नहीं थी। अब इस समय केवल भावनाओं को जगह देना आवश्यक था। "ठीक है दायमा!" यह कहते हुए उसने ऊपर देखा, दायमा की नज़रें