मेरे हमदम मेरे दोस्त - भाग 4

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तीन बरस बाद वो भी जश्न का ही दिन था। नीरा की शादी के जश्न का दिन। दुल्हन के लिबास में सजी वो बेहद ख़ूबसूरत नज़र आ रही थी। इतनी ख़ूबसूरत कि कोई दो पल को नज़रें ही न हटा सके। विवान की नज़र उस पर ही जमी हुई थी।विदाई की बेला में नीरा के आँसू ठहर ही नहीं रहे थे। सब कुछ पीछे छूटता चला जा रहा था। शायद, पहले जैसा अब कुछ भी ना रहे। माँ-बाबा से लिपटकर वह फूट-फूटकर रोने लगी। उसके आँसू देखकर विवान की आँखें भी नम हो गई। आसमान ने भी रिमझिम फुहारें बरसाकर