यादों की अशर्फियाँ - पूर्वभूमिका

  • 4.7k
  • 2.6k

समर्पण में अकसर सोचती थी की अगर हम कोई अच्छा काम करे तो हमारे माता पिता एवम् परिवार वालो की कीर्ति तो बढ़ेंगी ही पर उन शिक्षको और दोस्तो का क्या जिसने भी हमारी सफलता में अमूल्य योगदान दिया है। यह कहानी उन्ही पर, उन्ही से और उन्ही के लिए है। यह उन खास शिक्षको जिसने मुझे इस काबिल बनाया की में यह लिख सकू और मेरे सहारे उन दोस्तो को समर्पित है।   * पूर्वभूमिका   गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवों महेश्वर गुरू साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः       यह श्लोक से हमारी यूं कहे तो जिंदगी