यह बोलना गलत नहीं होंगा की ऐसा एक दिन नहीं गया होंगा जहा सिद्धार्थ को याद ना किया हो|आदत लग गयी थी सबको उसकी| आदते छुटती थोड़ी है जल्दी|जैसे की तीन की जगह चार लोगो का खाना बनाना, उसकी पसंदीदा कटहल, छोटी छोटी बातो में सिद्धार्थ का जिक्र करना|उसके लिए सुबह सबके चाय के साथ बनायीं गई कॉफ़ी जो की बाद में पता चलना की वो पिने वाला फीलहाल मौजूद नहीं| उसकी पसंदीदा मोती चूर के लड्डू उसके पिताजी द्वारा लाया जाना और फिर उसको अपने कमरे से बुलाना की वो लड्डू खा ले| लेकिन फिर वो भ्रम बचे हुए