अनचाहा बन्धन (नफरत से मोहब्बत तक)

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1.तुम आये तो मेरे इश्क मे अब बरकत होने लगी है चुपचाप रहता था दिल मेराअब हरकत होने लगी है2.ज़रूरी तो नही...सब कुछ हासिल हो ही जाये,कुछ लोग ना मिल कर भी...दिल में आखिरी सांस तक धड़कते है,3.बाकी है मुझ मेंतू कहीं... आज मगर मैं हूँ कहीं और तुम ना जाने और कहीं... वो दिन बिछड़े थे हम... वो लम्हें जब लड़ाई थीं हुई... आज अलग है हम - तुम... तुम हो गये हो गुम... और मैं हैरानी में गुमसुम...4.शायद मिलना हमारा तकदीर में लिखा ही नहीं इसलिए तुम ने कभी बताया नहीं और हम ने कभी जताया नहीं।5.यहां खंजर