अनोखा बन्धन (दो दिलो का)

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1.तुम थी,वक़्त थामैं नहीं...मैं थावक़्त थातुम नहीं...मैं हूँतुम होवक़्त नहीं...वक़्त रहेगामैं नहींतुम नहीं...2.रात फिर खूब जमके बरसे बादल,आंखों के पानी को भी संग में लेकर ।पता तो था की आज बारिश होगीसंग में लायेगी सुनामी,बादलों को सुनाई थी जो अपनी कहानी ।एक तरफ़ उमड़ते आंखों में दर्द के अरमान,दूसरी तरफ़ बरसते रहे झमाझम आसमान ।बारिश की बूंदों से रात्रि होती रही बियाबान,थम ही नही रहा था रात्रि मेरे आंसु का तूफ़ान।।3.रिश्तों का मुझे यूं आजमानाक्या बात है ... अल्फाजों से नमक लगाना क्या बात है ...वो हर रोज मुझे, अपना बनाते हैं ... मगर, अपना बना के मुझे ठुकराना क्या