1.बिखरे कितने गम है जमाने में हर एक आंख नम है जमाने में इन्सान ही इन्सान के काम आएगा तौबा कैसे वहम है जमाने मेंभीड़ अपनों की बहुत है लेकिन तन्हा तन्हा आलम है जमाने में तीसरा कोई नजर नहीं आता एक तुम एक हम है जमाने मेंढूंढने पर भी नजर नहीं आईवफा कितनी कम है जमाने में झूठे किस्से हैं झूठे वादे हैं झूठी हर कसम है जमाने में जबदवा जख्मों की कुछ भी नहीं दर्द ही अब मरहम है जमाने में 2. किस पर कितना विश्वास... बता दूं, कौन आम कौन खास... बता दूं चोरी और बेईमानी का