अमावस्या में खिला चाँद - 7

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- 7 -          जब शीतल पी.जी. पहुँची तो मानसी अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए तैयार हो रही थी। दोनों गले लगकर मिलीं। मानसी ने उससे कॉलेज में पढ़ाने के अनुभव पूछे। जब शीतल ने उसे बताया कि मैं पी.जी. छोड़ रही हूँ तो मानसी थोड़ी उदास हो गई। कहने लगी - ‘शीतल, तुम्हारे साथ रहते हुए समय गुजरने का पता ही नहीं चला। ऐसे लगता है जैसे कल की बात हो! …. आज तो रुकोगी ना? कल तो रविवार है, कल दिन में चली जाना।’        ‘हाँ, आज की रात तो मैं यहीं