अमावस्या में खिला चाँद - 2

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- 2 -         शनिवार का दिन और दिनों जैसा ही चढ़ा था। खिली हुई धूप की वजह से मौसम बहुत सुहावना था। अपनी दिनचर्या के अनुसार प्रवीर कुमार दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर सैर को निकल गया। सैर करते हुए भी मन में शीतल के ख़्याल आ-जा रहे थे। इस अन्यमनस्कता में एक जगह उसका पाँव ऊँची-नीची जगह में ठीक से न पड़ने के कारण वह गिरते-गिरते बचा। तब उसने मन को एकाग्र किया और सैर पूरी करके घर लौट आया। उसे सामान्य पाकर नवनीता उससे कल रात की उसकी अन्यमनस्कता का कारण पूछना भूल गई।