लाजपत राय गर्ग समर्पण कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के हिन्दी विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष, केन्द्रीय साहित्य अकादमी में पाँच वर्ष तक हरियाणा के प्रतिनिधि रहे, अनेकधा पुरस्कारों तथा सम्मानों से विभूषित, हरियाणा के अनगिनत साहित्यकारों के मार्गदर्शक एवं प्रेरणा-स्रोत सुहृद एवं स्नेहशील व्यक्तित्व के धनी श्रद्धेय डॉ. लालचन्द गुप्त ‘मंगल’ को प्रस्तुत उपन्यास समर्पित करते हुए मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। जय माँ शारदे! मैंने इसे क्यों लिखा … ? आभासी दुनिया के निरन्तर बढ़ते प्रभाव तथा नैतिक मूल्यों के निरन्तर ह्रास के कारण समाज में पवित्र रिश्तों की गरिमा