पाकिस्तान मेल - खुशवंत सिंह - उषा महाजन (अनुवाद)

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भारत-पाकिस्तान के त्रासदी भरे विभाजन ने जहाँ एक तरफ़ लाखों करोड़ों लोगों को उनके घर से बेघर कर दिया तो वहीं दूसरी तरफ़ जाने कितने लोग अनचाही मौतों का शिकार हो वक्त से पहले ही इस फ़ानी दुनिया से कूच कर गए। हज़ारों-लाखों लोग अब तक भी अपने परिवारजनों के बिछुड़ जाने के दुख से उबर नहीं पाए हैं। सैंकड़ों की संख्या में बलात्कार हुए और अनेकों बच्चे अपने परिवारजनों से बिछुड़ कर अनाथ के रूप में जीवन जीने को मजबूर हो गए। इसी अथाह दुःख और विषाद से भरी घड़ियों को ले कर अब तक अनेकों रचनाएँ  लिखी जा