प्यार हुआ चुपके से - भाग 4

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मुखियाजी अपने कुछ लोगों के साथ जंगल से निकलकर पास ही के गांव की पुलिस चौकी पहुंचे। वहां पहुंचते ही वो थानेदार के पास आकर बोले- राम-राम दरोगा बाबू....... "अरे मुखियाजी,आज आप अपने जंगल से बाहर कैसे आ गए? सब ठीक तो है ना? कहीं कोई बाघ किसी को फिर से उठाकर तो नहीं ले गया?"- थानेदार ने पूछा। मुखियाजी हाथ जोड़कर बोले- सब ठीक है दरोगा बाबू...बस आपसे कछु बात करना हति हमें, "हां जरुर, बैठिए"- दरोगा ने कुर्सी की ओर इशारा करके कहा तो मुखियाजी बैठते हुए बोले- दरोगा बाबू मैं कल ही आपके पास आवे वालो हतो