कलयुग के श्रवण कुमार........ मनोहर ने मुरली से पूछा था- "क्या हो गया था मुरली ।" कुछ नही मनोहर काका.. (सुबकते हुये) मैं खेत से लौटा था, तबियत ठीक नही लग रही थी बुखार था कल दोपहर से, खाना भी नही दिया था इसने , मैने इससे बोला की दवा दे दें, कुछ खाने को दे दे ताकि खाना खा कर दवा खालूं खेतों मे पानी लगाना है।सांसे व्यवस्थित करने की कोशिश करते हुये थोड़ा रुका था मुरली। 'फिर क्या हुआ ?' मनोहर ने पूछा। 'इसने (चमेली) कहा तुम्हारा रोज का नाटक हैं, मैंनें कहा दशा देखकर नहीं लग रहा।