कलयुग के श्रवण कुमार(कवर स्टोरी)शोरगुल बढ़ने लगा। ऐसा लग रहा था कही आसपास झगड़ा लड़ाई हो रही हो रही थी। सुबह 10 बजे का समय था। गांव के सभी बच्चे जो पढ़ते है, स्कूल जा चुके थे। औरते दोपहर के खाने की तैयारी मे लगी थी। घरों के पुरुष कुछ खेतों की ओर चले गये थे। बरगद के नीचे बने चबूतरे पर बुजुर्गो की चौपाल लगी थी। सब अपनी बीती या फिर गांव के ही विषयों पर चर्चा करने मे व्यस्त थे। शोर शराबा बढ़ता ही जा रहा था। अब तो किसी पुरुष की रोने की आवाज भी तेज होती