151=== =============== संस्थान में शनिवार/रविवार की दो दिनों की छुट्टियाँ थीं इसलिए काफ़ी शांत वातावरण था | अभी तक मैं और शीला दीदी ही केवल मंगला के बारे में जानते थे, हम रतनी से भी सब कुछ साझा किए बिना नहीं रहते थे लेकिन उसके पास आजकल फुर्सत ही नहीं थी अपने नए कॉस्टयूम से, अपने कारीगरों से, अपने नए डिज़ाइनों से| घर की व्यवस्था करके आती और समय होता तब कुछ देर कभी दो/पाँच मिनट दिखाई देती फिर चल पड़ती अपनी कार्यशाला में! इस बार रतनी को अम्मा के बिना पहली बार अपनी कला दिखाने का सुनहरा अवसर मिला