सच का सामना इस बात को बताकर कोयल तो बहुत खुश थी मगर मेरा गला सूख गया। मैं क्या बोलूँ ये समझ नहीं आ रहा था। जितनी खुश कोयल थी कायदे से उतना खुश मुझे भी होना चाहिए था मगर डर ने मुझे अपने वश में कर लिया था। मैंने अपने आप को तैयार किया और फिर बोलना शुरू किया। “अरे वाह यह तो बहुत ही ख़ुशी की बात है, इतने दिनों बाद तुम मोरादाबाद आ रही हो। मगर तुम तो कह रही थी कि एडमिशन हो जाने के बाद भी कुछ दिनों तक तुम नहीं आओगी, कुछ दिन पढाई