दोस्त की दुश्मनी आदित्य ने अपना मोबाइल साइलेंट कर रखा था। हालाँकि, अमोल अपने ही मोबाइल और मैसेज में इतना व्यस्त था कि उसे बाकी किसी से कोई मतलब नहीं था, मगर फिर भी आदित्य ने अहतियात बरत रखी थी। अमोल का ध्यान बार-बार मोबाइल पर जा रहा था कि भावना कोई मैसेज करे। मैंने उस छेड़ा भी, “क्या बार-बार मोबाइल देख रहे हो, मोबाइल देखने आये हो कि रावण-वध? इतने लोग आये हुए, इतनी लड़कियाँ आई हुई हैं, और तुम मोबाइल में व्यस्त हो।” “अरे इतने लोग तो आ गये मगर वो आये जिसको आना था, तब बात बने