साथिया - 82

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"नहीं नहीं..!! मैं शादी नहीं कर सकती। मैं निशांत के साथ शादी नहीं कर सकती।" सांझ ने कहा तो सब ने उसकी तरफ देखा तो वहीं सुरेंद्र की आंखें भी छोटी हो गई।"तो मैं कौन सा मरा जा रहा हूं तेरे साथ शादी करने के लिए..!! और वैसे भी गुलाम के साथ शादी नहीं की जाती। तेरे चाचा ने बेच दिया है तुझे मेरे हाथो और अब तू मेरी गुलाम है समझी..!!" निशांत ने वापस से उसके बाल पकड़ लिए। "तुम फालतू की बकवास बंद करो..!! यह सब बेकार है समझे..!! हम आजाद हैं कोई किसी का गुलाम नहीं है।