साथिया - 81

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स्पेशल नॉट- प्रिय पाठकों और मित्रो। पहले भी कहा है और अब भी कह रही हूँ कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है। सभी घटनाएं पात्र व दृश्य काल्पनिक है। किसी घटना या व्यक्ति के साथ मिलना महज संजोग है। मैं इस तरह की मान्यताओं प्रथाओ और कुरुतियों का विरोध करती हूँ। लेखक का उद्देश्य किसी धर्म जाती या समुदाय पर आरोप लगाना नही है। मै हर धर्म जाति और समुदाय का सम्मान करती हूँ। कहानी का एकमात्र उद्देश्य मनोरंजन है। कुछ कुरुतियाँ समूल रूप से खत्म हो चुकी है हमारे देश में तो कुछ के कभी कभी संकेत मिल जाते