साथिया - 77

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अक्षत और नील के घर शादी की तैयारियां शुरू हो गई थी।अगले दिन ही अक्षत सौरभ से मिलने उसके ऑफिस जा पहुंचा। " आइये जज साहब..!!" सौरभ ने उसका वेलकम करते हुए कहा। अक्षत मुस्कराया और उसके सामने वाली कुर्सी पर आ बैठा। "हालांकि हम दोनों के बीच में बहुत ज्यादा जान पहचान नहीं है, पर फिर भी निशि और नील के कारण काफी हद तक हम लोग एक दूसरे को जान गए है।" सौरभ ने मुस्कुराते हुए कहा। "जी बिल्कुल और जान पहचान होने में कोई वक्त तो नहीं लगता है ना..?? अब मेरी बहन मानसी नील के घर