148==== ============== सब कुछ बड़ा अजीब था लेकिन सच था और सच इसलिए था कि मैं उसे स्वयं अनुभव कर रही थी| संसार में जन्म लेना केवल एक अवसर की बात नहीं है बल्कि एक ऐसा रहस्य है जो सबको अपने-अपने तरीके से मनोमस्तिष्क के दायरे में धूमने के लिए बाध्य करता है| इस जीवन के होने, न होने के बीच भी तो न जाने कितने विद्वानों के चिंतन रहे हैं और चलते ही रहते हैं, रहेंगे भी क्योंकि जीवन का रहस्य किसने जाना है और जहाँ तक है जानना असंभव ही है| हाँ, शरीर की उत्पत्ति जब हुई है,