रात्रि में कुँवर, उदयसिंह, देवा, तालन, धन्वा, व्यूह रचना पर विमर्श ही कर कर रहे थे कि रूपन उपस्थित हुआ। उसने बताया कि कुमार की चिता यहीं जलेगी। माण्डलिक महाराज परमर्दिदेव के साथ प्रातः यहीं पहुचेंगे। सुरक्षा की व्यवस्था हमें करनी है। रातोरात सूखे चन्दन काष्ठ की व्यवस्था की गई। प्रातःहोते होते महाराज परमर्दिदेव, महारानी मल्हना, वेला, माण्डलिक, देवल, सुवर्णा , पुष्पिका कुमार के शव को लेकर युद्ध स्थल पर आ गए। चामुण्डराय को सूचना मिली उसने विघ्न उपस्थित करने का मन बनाया पर महाराज ने रोक दिया। यद्यपि कुँवर और उदयसिंह विघ्न से निपटने की योजना बना चुके थे