नहीं नहीं। मेरे पापा को छोड़ दो। छह साल की आभा ने एक परछाई को देखते हुए कहा। प्लीज़ उन्हें कुछ मत करना.....। यह कहते कहते सामने का नजारा देख वो सुन्न पड़ गईं। खून में लिपटे उसकी पिता की लाश उसके सामने पड़ी थी। इस बार फिर वो अपने पिता को नही बचा पाईं। रोते रोते उसके आसूं भी सूखे नहीं थे, तभी उसके पिता का लहूलुहान शरीर हिला। वो उनके पास गई, लेकिन जब उसने शरीर पलटा, वो यकीनन उसके पिता नही थे। हो ही नहीं सकते। काली आंखें उसे घूर रही थी। अचानक वो हसने