राघव (खण्ड -1) - विनय सक्सेना

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बॉलीवुड की फ़िल्मों में आमतौर पर आपने देखा होगा कि ज़्यादातर प्रोड्यूसर एक ही ढर्रे या तयशुदा फॉर्मयुलों पर आधारित फ़िल्में बनाते हैं या बनाने का प्रयास करते हैं। एक समय था जब खोया-पाया या कुंभ के मेले में बिछुड़े भाई-बहन का मिलना हो अथवा बचपन में माँ-बाप के कत्ल का बदला नायक द्वारा जवानी में लिया जाना हो इत्यादि फॉर्मयुलों पर आधारित फिल्मों की एक तरह से बाढ़ आ गयी थी। इसी तरह किसी एक देशभक्ति की फ़िल्म के आने की देर होती है कि उसी तर्ज़ पर अनेक फिल्में अनेक भाषाओं में बनने लगती हैं। एक बाहुबली क्या