कंचन मृग - 40. कहने को रह ही क्या गया?

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40. कहने को रह ही क्या गया? बाबा पारिजात के साथ चलते हुए चन्द के आवास के सम्मुख उपस्थित हुए। पारिजात दिल्ली का कण-कण छान चुके थे। कवि चन्द का आवास ढूँढ़ने में उन्हें कठिनाई नहीं हुई। आवास अपनी भव्यता में राजप्रासाद का आभास करा रहा था। द्वार पर एक प्रहरी नियुक्त था। पारिजात ने उसी से चन्द के बारे में पूछा। उसने बताया कि महाकवि माँ शारदा की आराधना हेतु शारदा मन्दिर गए हुए हैं। बाबा पारिजात के साथ तुरन्त शारदा मन्दिर की ओर बढ़ गए। मन्दिर में माँ शारदा की विशाल प्रतिमा देखकर बाबा गद्गद हो गए। उन्होंने