कंचन मृग - 38. कच्चे बाबा की व्यथा

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38. कच्चे बाबा की व्यथा- कच्चे बाबा आज अत्यन्त व्यथित हैं। जब से उन्होंने सुना है कि चाहमान नरेश ने चन्देलों से निर्णायक युद्ध करने का व्रत लिया है, उनकी एकान्त साधना प्रायः समाप्त हो गई है। वे बार बार स्मरण करते, जब पश्चिमी सीमाएं अरक्षित हो रही हैं, चाहमान नरेश का यह व्रत संगत नहीं है। उन्होंने कुछ प्रबुद्ध सन्तों को इक्ट्ठा कर इस अभियान को रोकने का मन बनाया। अपने शिष्यों के माध्यम से उन्होंने शैव, वैष्णव, बौद्ध, जैन, नाथ सभी से सम्पर्क साधा पर कोई भी इस कार्य में हाथ डालने को तैयार नहीं हुआ। लूट दस्यु,